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नन्दन वन की कोयल / ठाकुरप्रसाद सिंह
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नन्दन-वन की कोयल
आई हो गाँव में
जंगल से जंगल के बीच
दिये-सा आंगन
पास बुलाते तुमको
द्वार-दिये, घर-आंगन
डाल पर न बैठो
बंधन होंगे पाँव में
आई हो गाँव में