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औरत / सुधीर सक्सेना
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(कायसिन कुलियेव के लिए
थम गई अचानक हवा,
दिशाएँ स्तब्ध
सूरज के माथे पर चुहचुहाया पसीना
अनझप पेड़ों के साथ
निहारता है कवि अपलक
नदी में एक औरत नहा रही है ।