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तोते पर अन्योक्ति / नाथूराम शर्मा 'शंकर'

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तोते तुझे तेरे करतब ने इस बन्धन में डाला है रे !
सुन सीखे जो शब्द हमारे, उनको बोल रहा है प्यारे,
मिट्ठू तुझे इसी कारण से, कनरसियों ने पाला है रे !
हा! कोटर में बास नहीं है, प्यारा कुनबा पास नहीं है,
लोह-तीलियों का घर पाया, अटका कष्ट-कसाला है रे !
सुआ सैकड़ों पढ़ने वाले, पकड़ बिल्लियों ने खा डाले,
तू भी कल कुत्ते के मुख से, प्राण बचाय निकाला है रे !
पंजे नहीं छुड़ा सकते हैं, हाय न पंख उड़ा सकते हैं,
चोंच न काटेगी पिंजड़े को, ‘शंकर’ ही रखवाला है रे !