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झुमका बाँध / संजय अलंग

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अल्हड़ गदराई युवती सा बहता अलमस्त बरसाती नाला है-झुमका

लगा बनने उस पर बाँध स्थाई सन्नाटे में पसरे मेरे कस्बे में शोर मच गया कस्बे से से झुंड के झुंड उसे देखने जाने लगे इंजीनियर, ठेकेदारों की फ़ौज़ आने लगी

कस्बे का व्यापार बढ़ निकला बातों का भी नए-नए लोग आए लोगों को शगल मिला बेरोज़गारों को काम व्यापारियों को दाम

कस्बा फैलने लगा नगर बनने लगा शराब आई चाकू आया गुंडे आए

लोग फुटबाल भूले रामलीला भूली क्रिकेट आया, कालेज़ आया

विडियो पार्लर खुले कस्बा सम्पन्न दिखने लगा कुछ वर्ष चहल-पहल रही

बाँध पूर्ण हुआ इंजीनियर गए, ठेकेदार गए पैसा गया, फुटबाल गई

शराब रह गई ढ़ाबे रह गए बेरोज़गारी रह गई

झुमका पर राजा का नाम चढ़ा कस्बा चीज़ों का आदी हो गया सरकार काम देने की नहीं

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