भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माध्यम / संजय अलंग
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:48, 22 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय अलंग |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> जुड़त...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जुड़ता हूँ मैं सूर्य से
उसकी सुनहरी रश्मियों के द्वारा
इसके लिए मुझे हनुमान
नहीं होना पड़ता
जुड़ता हूँ मैं चाँद से
उसकी चाँदनी के द्वारा
इसके लिए मुझे राहू-केतु
नहीं होना पड़ता
जुड़ता हूँ मैं सागर से
गंगा-जमुना के द्वारा
इसके लिए मुझे आगत्स्य
नहीं होना पड़ता
जुड़ता हूँ मैं पुष्प से
उसकी भीनी खुशबू के द्वारा
इसके लिए मुझे माली
नहीं होना पड़ता
जुड़ता हूँ मैं संसार से
मनुष्य होने के कारण
इसके लिए मुझे
ईश्वर नहीं होना पड़ता