भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हक़ नमक का / नन्दल हितैषी

Kavita Kosh से
Amitabh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:05, 29 फ़रवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नन्दल हितैषी |संग्रह=बेहतर आदमी के...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जब शोर की अधिकता में
प्रभावी होता है संकेत.
तब चमक उठती है
चौराहे की लाल बत्ती
......और संवादहीनता
बनती है नियति,
भागता हुआ अभिवादन
जोड़ देता है
भिनसारे को संझा से.
नमक का सही हक़
अदा करता हुआ वह कामगार
’उरिन’ हो गया,
ठेले पर नमक के बोरे
..... और पसीने से तरबतर
एक पौरुष.