भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपकी दिल्लगी नहीं जाती / मनु भारद्वाज

Kavita Kosh से
Manubhardwaj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:46, 12 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}} <Poem> आपकी द...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपकी दिल्लगी नहीं जाती
हमसे खैरात ली नहीं जाती

जल्द ही दिन फिरेंगे मेरे भी
दूर तक मुफ़लिसी नहीं जाती

कोई तो रंज खा रहा है उसे
वर्ना इतनी भी पी नहीं जाती

दिल को मुद्दत रुलाना पड़ता है
शायरी यूँ ही की नहीं जाती

उनका ये भी सितम क़ुबूल हमें
हमसे अब बात की नहीं जाती

इस ग़ज़ल में कोई कहानी है
ये ग़ज़ल अब सुनी नहीं जाती

जी रहे हैं 'मनु' ख़ुशी से मगर
बस किसी की कमी नहीं जाती