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जिजीविषा / सुकीर्ति गुप्ता
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झुकी कमर
ठक ठक देहरी
उम्र नापती
इधर-उधर देखती
एक बस; दो बस अनेक बस
जाने देती रिक्शा ठेला भी
युवक ठिठकता है
वत्सला कांपती
थाम लेती है हाथ
उसे सड़क पार जाना है।