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संभव नहीं हो पाता कहना / मदन गोपाल लढ़ा
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माँ/मम/आई/देदे...
ऐसे ही दो-चार अन्य शब्द होंगे
मेरे डेढ़ साल के बेटे के पास
जिनसे बखूबी कह देता है वह
कहना चाहता है जो
पानी से लेकर
छत पर नाचते मोर को
देखने की इच्छा तक
प्रकट कर देता है
भूख/नींद/गुस्सा
पसंद/नापसंद
मनगत अपनी
वहीं मुझसे
स्मृति में हजारों व
कोश में लाखों शब्दों के साथ
भारी भरकम व्याकरण शास्त्र के बावजूद
संभव नहीं हो पाता कहना
जाने क्यों
बहुत कुछ
रह जाता है अनकहा
या कह डालता हँू ज्यादा
अक्सर
चाहता कुछ हूँ
कहता कुछ !