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प्रतिमा (4) / मदन गोपाल लढ़ा
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वह प्रतिमा
हर्षित नहीं होती
आसाढ़ के मेघों-से
वार-त्यौहार आने वाले
सफेदपोश नेताओं से।
वह प्रसन्न होती है
गांव के गरीब लोगों से
जो जीमते हैं रोटी
उसके चौक पर बैठकर।