Last modified on 24 मार्च 2012, at 13:12

अकाल राहत (3) / मदन गोपाल लढ़ा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 24 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढ़ा |संग्रह=होना चाहता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


पंचायत भवन के सामने
जुटी
डेढ़ सौ की भीड़
चुनने हैं उसमें से
तीस निर्धनतम मजदूर
अकाल राहत के लिए।

अचंभा है
खाते-पीते लोग भी
बेताब है
अपनी लुगाई का नाम
मस्टर-रोल में लिखवाने को।

अकाल
जमीन पर ही नहीं
जेहन में भी है
सोच का।