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तुम / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

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सब को

सब का

इच्छित तू

दे देता

तो तेरा

क्या होता ..?

 

तेरे वजूद

पर हम ने

आज तक

नही लगाये

कोई प्रश्न -चिन्ह --!

 

इस तानाशाही

मे - बहुत

हो गया

तुम्हारा -अन्याय

अब और नहीं ....

 

आज सीमा

पर तुम

होंगे या मै- एक

म्यान - दो

तलवार नहीं ....

 

मैं भी

तेरा ही

अंश हूँ -

हे - पर- आत्म

तुम से

कम हठी नहीं .....

 

नीचे उतर

और - मेरी जगह

बैठ

मेरी लहुलुहान

बिवाइयों मैं देख ..

कितने ब्रहामंड

हताहत हैं ....!