भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कानून की देवी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
Tripurari Kumar Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 25 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा }} {{KKCatKavita}} <Poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
‘कानून अंधा होता है’
पुराना हो चुका है यह जुमला
अब तो कानून की देवी ख़ुद
सफ़ेदपोश लोगों के शयन कक्ष में
बिस्तर के सिलवटों की गवाह बनती है।
(बदन से ‘लेडी डायना’ की बू आती है)