भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पेड़ निपाती (चोका) / सरस्वती माथुर

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:57, 26 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरस्वती माथुर |संग्रह= }}{{KKCatHaiku}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

    
पतझर में
उदास पुरवाई
 पेड़ निपाती
 उदास अकेला -सा ।
 सूखे पत्ते भी
 सरसराते उड़े
 बिना परिन्दे
 ठूँठ -सा पेड़ खड़ा
 धूप छानता
 किरणों से नहाता
  भीगी शाम में
 चाँदनी ओढ़कर
 चाँद देखता
 सन्नाटे से खेलता
 विश्वास लिये-
 हरियाली के संग
 पत्ते फिर फूटेंगे ।