भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यात्रा की डायरी / बेई दाओ
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:44, 27 मार्च 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=बेई दाओ |संग्रह= }} Category:चीनी भाषा ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
|
जंगल में बारिश के प्रवेश से पहले
अग्निशामक यंत्र में बर्फ़ का एक तूफ़ान गहरी नींद में सो जाता है
तुम अतीत को सुनते हो-
एक निर्माणाधीन जगह रोशन हो उठती है:
शल्यक्रिया से उजागर हो जाती हैं अंतडिय़ां
कोई हथौड़ा बजा रहा है लगातार
कितनी कमज़ोर होती है दिल की धड़कन
एक पुल छलांग लगाता है
ख़बर के सबसे सियाह पहलू को
भविष्य के शहर के सामने लाता है
आगे बढ़ो! बच्चे के बेढंगे शब्दों के कल में
और तारों भरे आसमान की ब्रेल लिपि में
भीतर तक धंसो
वे तरुणाई का सफ़ेद परचम थामे हुए हैं
बरसों की ऊंचाई को तूफ़ानों से नापते हुए
अंत में तुम एक पिता बन जाते हो
खेतों के आरपार चलते हुए
रातोरात पहाड़ सफ़ेद हो जाते हैं
सड़कें मुड़ जाती हैं
अंग्रेजी भाषा से रूपांतरण : गीत चतुर्वेदी