भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यास / इमरोज़

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:34, 30 मार्च 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इमरोज़  » संग्रह: आज की पंजाबी कविता
»  प्यास


आदमी ज़िन्दगी जीने को
शिद्दत से बड़ा प्यासा था
इस प्यास के संग चलता
ज़िन्दगी का पानी खोजता-तलाशता
वह एक चश्मे तक पहुँच गया
प्यास इतनी थी
कि वह न देख सका, न पहचान सका
कि यह ज़िन्दगी का चश्मा नहीं
वह तो प्यासे पानी का चश्मा था
प्यास बुझाने को जब वह
पानी के करीब गया
प्यासे पानी ने आदमी को पी लिया...

मूल पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव