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आदमी का बच्‍चा / उत्‍तमराव क्षीरसागर

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आदमी का बच्‍चा
नहीं भर सकता कुलॉंचें
रँभाती गायों के
नवजात बछड़ों की तरह

अभि‍शप्‍त है वह
पैदा होते ही रोने को