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भय का अंधा समय / उत्‍तमराव क्षीरसागर

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भय का अंधा समय
धर्म की लाठी लेकर
पार करना चाहता है
नि‍रपेक्ष रास्‍तों को

वैधानि‍क चेतावनी के बावजूद
नशे में धुत्‍त हो जाता है एक नागरि‍क
राजस्‍व प्राप्‍त कर ख़ुश है प्रशासन
नशा मुक्‍ति‍ अभि‍यान के लि‍ए
पर्याप्‍त धन पाकर ख़ुश हैं स्‍वयंसेवी संगठन

साधु-संत, पुजारी और धर्मानुयायी
पूजा-अर्चना और प्रार्थना से कारगर मानते रहे हैं
जलसा-जुलूस और आंदोलन को

अराजकता और आतंक के अनुबंध
मुँहमॉंगी कीमत पर तय हो रहे हैं
रक़म अदायगी का अनुशासन है