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पालिशवाला / नासिर अहमद सिकंदर
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वह बच्चा ही था
जो मेरे
जूते पालिश कर रहा था
काली पालिश
अपने चेहरे के रंग की
मैंने देखा
जब वह चमक के लिए
ब्रश जोर से चलाता
तो उसके सर के बाल उड़ते
ब्रश की तरह लगते
चलते चेहरे पर
जितनी जोर से चलता हाथ
उतनी जोर से हिलता सर
एक ब्रश जूते पर
एक चेहरे पर मानो
कुछ समय बाद
लायी मेहनत रंग
चमके जूते
इतने
कि देख सकता था
उसमें चेहरा
पर यह भी गौरतलब-
उसका मासूम चेहरा
वैसई था
कांतिहीन !