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विश्वास और मैं / नासिर अहमद सिकंदर

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एक और एक
होते हैं ग्यारह
यह मुहावरा
झूठा गढ़ा है
अकेला चना
भाड़ क्या फोड़े
अब इस पर
विश्वास बढ़ा है ।