Last modified on 11 अप्रैल 2012, at 12:45

ज्योति दा / नासिर अहमद सिकंदर

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:45, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नासिर अहमद सिकंदर |संग्रह=भूलवश औ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


ज्योति माने लौ
लपट
ताप और उष्मा का मिश्रण
प्रतीकार्थ में ज्योति माने चमक
रोशनी
उजाला
व्यापकता में
सीधी और सरल रेखा में चलता
प्रकाशपुंज
मुहावरे में
आखों से मिलकर इसका अर्थ
ज्ञान से जुडकर तो सार्थक
एक बिंबात्मक अर्थ यह भी
आकाश का वह हिस्सा
जहाँ सूर्योदय
सामजिक संदर्भ में झिलमिलाहट यह
वैश्विक-परिदृश्य में
जगमगाहट
अब
ताप, उष्मा, चमक, रोशनी, उजाला
जगमगाहट
झिलमिलाहट
सब विशेषण
संज्ञा सिर्फ एक
माने ज्योति
ज्योति दा
ज्योति बाबू !