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चाय-छन्नी / नासिर अहमद सिकंदर

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(कबीर घास न नींदिये, जो पाऊं तलि होई ।
उड़ि पड़ै जब आंखि मैं, खरी दुहेली होई ।।)

रसोईघर में
चाहे दूसरे बर्तनों की जगह सुरक्षित न हो
पर इसकी जगह सुरक्षित
निर्धारित !
किसी कील पर टंगी
या फिर रखी अलग-थलग ऐसे
कि झट पड़े नजर
रसोईघर में
दूसरे बर्तन चाहे बन जायें
विकल्प एक दूसरे का
पर इसका विकल्प जरा मुश्किल
कुछ कुछ नामुमकिन भी
किसी को
या किसी के काम को
कम आँकने की प्रतिभा वाले
प्रतिभाशाली लोगों
मत कहना उसे भी छोटा
या छोटा
काम उसका !