Last modified on 11 अप्रैल 2012, at 17:11

चप्पल पर भात / वीरेन डंगवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:11, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

किस्सा यों हुआ
कि खाते समय चप्पल पर भात के कुछ कण
गिर गए थे
जो जल्दबाज़ी में दिखे नहीं ।
फिर तो काफ़ी देर
तलुओं पर उस चिपचिपाहट की ही भेंट
चढ़ी रहीं
तमाम महान चिन्ताएँ ।