तुम्हारी तरह मैं भी
प्रेम करता हूँ प्रेम से, ज़िंदगी,
चीजों की मोहक सुगंध, और जनवरी
के दिनों के आसमानी रंग के भूदृश्यों से.
और मेरा भी खून खौल उठता है
और मैं हंसता हूँ आँखों से
जो जानती रही हैं अश्रुग्रंथियों को.
मेरा मानना है कि दुनिया खूबसूरत है
और रोटी की तरह कविता भी सबके लिए है.
और मेरी नसें सिर्फ मेरे भीतर नहीं
बल्कि उन लोगों के एक जैसे खून तक भी फैली हैं
जो लड़ते हैं ज़िंदगी के लिए,
प्रेम,
छोटी-छोटी चीजों,
प्राकृतिक भूदृश्यों और रोटी के लिए,
जो कविता है हर किसी की.
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अनुवाद मनोज पटेल