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हाइकु 41-50 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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41
प्यार का कर्ज़
लगता कम पर
चुकता नहीं ।
42
ये स्कूली बच्चे
बिन परों के पाखी
उड़ते रहें।
43
चरण छूना
नस-नस में जैसे
प्रेम जगाना।
44
धरती जागी
ये अम्बर नहाया
चाँद मुस्काया।
45
चुकाएँ कैसे ?
जो भी तुमने दिया
हमने लिया।
46
प्यारी दुनिया-
अब जाना हमने
इसे सींचना ।
47
पढ़ें पहाड़ा
गाएँ मिलके गीत
सच्चा संगीत ।
48
गले मिले थे
सपना टूट गया
आँसू छलके
49
भीगीं पलकें
छूती गोरा मुखड़ा
तेरी अलकें
50
चिड़िया मिली
मुनिया की बिखरी
दूधिया हँसी