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उजाला हिन्दी भावानुवाद / नवीन जोशी 'नवेंदु'

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 उजाला (हिन्दी भावानुवाद)
उजाला-
जुगनुओं का,
गैस का-छिलकों की ज्वाला का
भुतहा रोशनियों और
चांदनी की तरह
ज्ञान का
जब तक
नहीं होता
तब तक
अंधेरा ही लगता है उजाले जैसा।

कोई-कोई
आंखों को तान कर
हाथों से टटोल कर
हाथ-पैरों में
आंखें जोड़कर
कोशिश करते हैं,

फिर भी
कौन कह सकता है (पूरे विश्वास से)
पांव कीचड़ के
गड्ढे में
नहीं सनेंगे,
दिल को कोई डर
नहीं डरा सकेगा।