भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आतंकवादी देखता है / विस्साव शिम्बोर्स्का

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:11, 18 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विस्साव शिम्बोर्स्का |संग्रह= }} {{KKCa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तेरह बीस पर बम फटेगा शराबख़ाने के भीतर
अभी बजा है बस तेरह सोलह.
अभी समय है कुछ लोग भीतर जा सकते हैं
कुछ आ सकते हैं बाहर.
आतंकवादी सड़क पार कर चुका है.
वह ख़तरे से पर्याप्त दूरी पर है और
क्या नज़ारा है! - बिल्कुल फ़िल्मों जैसा
पीली जैकेट वाली एक औरत - वह भीतर जा रही है
काला चश्मा लगाए वह आदमी - वह बाहर आ रहा है
जीन्स पहने लड़के बतिया रहे हैं
तेरह सत्रह और चार सेकेंड
तकदीर वाला है वह ठिगना - स्कूटर पर बैठ कर जा रहा है
और वह लम्बा वाला - वह भीतर जा रहा है.
तेरह सत्रह और चालीस सेकेंड.
वह लड़की - वह चहलकदमी कर रही है, उसके बालों में हरा रिबन
लेकिन तभी एक बस रुकती है उसके सामने.
तेरह अठारह.
अब नहीं है वह लड़की वहां.
क्या वह इतनी बेवकूफ़ थी!
पता नहीं वह भीतर गई या नहीं.
हम देख लेंगे जब उन्हें बाहर लाया जाएगा.
तेरह उन्नीस.
फ़िलहाल कोई नहीं जा रहा भीतर.
एक और मोटा-गंजा बाहर आ रहा है अलबत्ता.
एक सेकेंड, लगता है वह कुछ ढूंढ़ रहा है जेबों में
और तेरह बीस से दस सेकेंड पहले
वह भीतर जा रहा है
अपने घटिया दस्तानों के लिए.
ठीक तेरह बीस.
उफ़ यह इन्तज़ार! कितना लम्बा!
अब.
किसी भी पल.
नहीं.
अभी नहीं.
हां, अब.
बम फटता है.

अनुवाद: