Last modified on 26 सितम्बर 2007, at 23:31

चलो, चलें चम्पागढ़ / ठाकुरप्रसाद सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 26 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ठाकुरप्रसाद सिंह |संग्रह=वंशी और मादल / ठाकुरप्रसाद स...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चलो, चलें चम्पागढ़--सपनों के देश

प्यारे के देश


उत्तर से आ रही हवाएँ

बूंदों की झालर पहने

दक्षिण में उठ-उठकर छा रहे

पागल बादल गहिरे!


बिजली के बजते संदेश

प्यारे के देश


दस दिन के पाँव और दस दिन की नाव

दूर देश रे

तब जाकर मिल पाएगा पिय का गाँव

दूर देश रे

ऎसा विधना का आदेश


प्यारे के देश

चलो, चलें चम्पागढ़--सपनों के देश