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यात्राएँ बीतीं / ठाकुरप्रसाद सिंह
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यात्राएँ बीतीं
पर्वत की
मेले बीते
तुमसे जेठी ब्याहीं
ब्याहीं छोटी तुमसे
सबने सज-बजकर ब्याह रचे
पाए मनचीते
मेले बीते
पगली बेटी अनमन
घूम फिरी तू रनबन
बीते दिन गिन-गिन
आँसू पीते
मेले बीते
यात्राएँ बीतीं