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कारागृह / प्रमोद कुमार शर्मा

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यह जो मेरी देह है-
यही सबसे बड़ी कारा है
फिर दोनों से जो कहता है
लगाव उत्पन्न करने को-
वह ईश्वर ही है-
अब चाहे देह में ढूंढ लूं
या कि पूरी पृथ्वी पर
मिलेगा मुझे ईश्वर ही करता हुआ प्रश्न
कब छोड़ोगे कामना-
देह की।
पृथ्वी की।
तुम्हारे ही कारण हुआ
मैं कारा में ईश्वर!
अब मुझे भजने दो
ताकि हो सकूं मुक्त कारा से
-और तुम भी!