भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पुरूष-दृष्टि-एक / कमलेश्वर साहू

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:29, 26 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गर्मी के दिनों में
पीपल की छाया है
शीतल हवा का झोंका
बारिश के दिनों में
सिर पर तना हुआ छाता
ठंड के दिनों में
जिस्म से लिपटी हुई रजाई
और बसंत के दिनों में . . . . .
बसंत के दिनों में
आंगन में खिला हुआ
सबसे सुन्दर सबसे ताजा फूल
सांसों में बसी हुई
सबसे प्यारी खुश्बू है पत्नी !