भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मां की याद / कमलेश्वर साहू
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 26 अप्रैल 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मां की याद
ऐसे आती है
जैसे आती है महक
बाग के किसी कोने से
कोने में खिले किसी फूल से
जैसे आती है माटी-गंध
आषाढ़ की
पहली बारिश में
आंगन की
भीगी हुई काली मिट्टी से-
ठीक ऐसे ही आती है
मां की याद
जो अब रही नहीं
इस दुनिया में
मेरे लिये
मां की याद
मां का
इस दुनिया में होना है !