भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चित्रकार / कमलेश्वर साहू

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 25 मई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश्वर साहू |संग्रह=किताब से निक...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जीवन के सारे रंग थे उनकी तस्वीरों में
जीवन का सारा सौन्दर्य
प्रकृति और मनुष्य के सारे रूप
सारे संबन्ध
संबन्धों की सैकड़ों परिभाषाएं
प्रशंसा और प्रशस्तियों से घिरा
मशहूर चित्रकार वह
आत्ममुग्ध
गर्दन अकड़ाए निहारता अपने चित्रों को
देखता प्रशंसाओं और प्रशस्तियों को
भर जाता अभिमान से
चमकने लगतीं उसकी आखें
खिल खिल जाता चेहरा
मशहूर चित्रकार वह
जिस स्त्री से करता था प्रेम
बनाया एक दिन उसी का चित्र
और हो गया मुग्ध
मुग्धता में बेसुध
हादसा यह हुआ
कि चित्र की स्त्री पर मुग्ध एक चित्रकार
भूल ही गया
जीवन की स्त्री को !