भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवा जो चलती रहती है / अरविन्द कुमार
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 2 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द कुमार |संग्रह=समांतर कोश / ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हवा जो चलती रहती है
आँख से देख नहीं पाते
हवा को मैं ने देखा है
हवा नटखट सी बच्ची है
सदा इठलाती रहती है
सदा बल खाती रहती है
नए नित रूप दिखाती है
हवा को मैं ने देखा है
ग़रीबी जब ठिठुराती है
अमीरी मौज मनाती है
हवा तब सनसन रोती है
हवा तब शोक मनाती है
हवा को मैं ने देखा है
धूल जब ऊपर चढ़ती है
गर्व से सब पर हँसती है
ज़माना हैरत करता है
हवा मन मेँ मुसकाती है
हवा को मैं ने देखा है