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इस जंगल में / अरविन्द श्रीवास्तव

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यह शहरी जंगल था
जहाँ चिड़ियों ने बसेरा लेना
छोड़ दिया था

जंगल आदमी का था और शब्द काँटे थे
भीड़ में स्पर्श का मतलब था
बबूल-सा तेवर झेलना
क्योंकि आदमी परखनली में जन्म ले रहा था
और प्लास्टिक भोजन का जायकेदार हिस्सा था
मजबूत बैंक-लॉकरों में फ्रिज कर दी गयी थी
कोमल भावनाएँ, संवेदनाएँ और मुलायमीयत

सड़कों पर जला-भुना आदमी
भभकती आग बन दौड़ा जा रहा था
किधर, पता नहीं
यहाँ फुफकारते थे वाहन
रोकने-टोकने का मतलब था
गर्म तवे पर हाथ रखना
इस जंगल में

इस जंगल में
शब्द खुखरी थे और
मुँह म्यान!