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प्रेम / अरविन्द श्रीवास्तव
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1.
अच्छा लगा
प्रेम में पहाड़ बनना
और अच्छा लगा
उस पहाड़ का
प्रेम में
पिघल जाना ।
2.
प्रेम में पराजित हुआ
तो क्या हुआ ?
प्रेम के लिए
युद्ध तो लड़ा !