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क़िस्से का एक मामूली आदमी / अरविन्द श्रीवास्तव

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बतौर एक मामूली आदमी
शामिल होता है वह इस क़िस्से में
मानवीय गुणों के अनुरूप
उसके अन्दर भी होती है अनन्त जिजीविषाएँ
और नायकत्व की सारी ख़ूबियाँ
चाँदनी और अँधेरी रातों में चलने का हुनर
संवेदनाओं को पालने और सुविधानुसार
चबाने का इल्म
किसी लाचार कुत्ते और दबंग बाघ से गुर
नायकत्व की दावेदारी में
अब उसे क़ातिल बनने से गुरेज नहीं है
जानता है वह नायक बनने के लिए
खलनायक बनने की अनिवार्यता

वह सबसे पहले हत्या करता है उसकी
जिसकी बदौलत वह शामिल हुआ क़िस्से में
किरदार निभाने के लिए

वह एहतियातन हमसफ़रों पर एतबार नहीं करता
करता है वह मकसद के लिए उठाईगीरी
और कई-कई हत्याएँ
अपने बेजोड़ और गैरमामूली अभिनय से

बटोरता है तालियाँ और छा जाता है
कथा पटल पर

जिसे बड़े ध्यान से देख रहा होता है
इस क़िस्से में शामिल होने वाला
एक मामूली नया किरदार !