भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़ेनिया एक-9 / एयूजेनिओ मोंताले
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:46, 22 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=एयूजेनिओ मोंताले |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पन्ना बनाया)
|
सुनना—
फ़क़त यही एक तरीक़ा था तुम्हारा
मुलाक़ातों का ।
न-कुछ-सा
आता है
अब टेलिफ़ोन का बिल ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल