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इस कथा में मृत्यु-3 / मनोज कुमार झा

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संयोगों की लकड़ी पर
इधर पालिश नहीं चढ़ी है
किसी भी खरका से उलझकर
टूट सकता है सूता ।
यह इधर की कथा है
इसमें मृत्यु के आगे-पीछे कुछ भी तै नहीं है ।