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आँखें / भावना कुँअर
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आँखे जाने क्यों
भूल गई पलकों को झपकना
क्यों पसंद आने लगा इनको
आँखों में जीते-जागते
सपनों के साथ खिलवाड़ करना…
क्यों नहीं हो जाती बंद
सदा के लिए
ताकि ना पड़े इन्हें किसी
असम्भव को रोकना ।