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अकेलापन / रेखा राजवंशी
Kavita Kosh से
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अब बड़ा घर है
अच्छा फर्नीचर है ।
एल०सी०डी० टी०वी० है
पूल है, कारें हैं
बच्चे अच्छे स्कूल में हैं
सुख-सामान सारे हैं ।
वीकेंड में होती है पार्टी
ड्रिंक और डाँस का
बंदोबस्त होता है
अपनी उपलब्धि बखानने में
हर कोई व्यस्त होता है ।
पर कहीं अचानक
एक व्यक्ति शराब के नशे में
रोने लगता है
अपने गाँव, अपने परिवार
से बिछुड़ने का दर्द
ढोने लगता है ।
पार्टी में जैसे
सन्नाटा छा जाता है
और सबको
अपना ग़म याद
आ जाता है ।
रात बियर की बोतल-सी
खाली हो जाती है
मुँह से निकली हर बात
ग़ाली हो जाती है
और मौसम बदल जाता है
कंगारूओं के देश में ।