भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन-दान / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:18, 19 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=इत्यलम् / अज्ञेय }} {{...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मुक्त बन्दी के प्राण!
पैरें की गति शृंखल बाधित, काया कारा-कलुषाच्छादित
पर किस विकल प्रेरणा-स्पन्दित उद्धत उस का गान!
अंग-अंग उस का क्षत-विह्वल हृदय हताशाओं से घायल,
किन्तु असह्य रणातुर उस की आत्मा का आह्वान!
उस की भूख-प्यास भी नियमित उस की अन्तिम सम्पत्ति परिहृत
लज्जित पर बलिदान देख कर उस का जीवन-दान!
मुक्त बन्दी के प्राण!
डलहौजी, 1934