भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राखी / अज्ञेय
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:32, 19 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=इत्यलम् / अज्ञेय }} {{...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मेरे प्राण स्वयं राखी-से प्रतिक्षण तुझको रहते घेरे
पर उनके ही संरक्षक हैं अथक स्नेह के बन्धन तेरे।
भूल गये हम कौन कौन है, कौन किसे भेजे अब राखी-
अपनी अचिर अभिन्न एकता की बस यही भूल हो साखी!
लाहौर, 29 मार्च, 1935