Last modified on 27 जुलाई 2012, at 12:35

अंतर्विरोध (1) / धर्मेन्द्र चतुर्वेदी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:35, 27 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धर्मेन्द्र चतुर्वेदी |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


श्वेत के साथ हुआ
कृष्ण का प्रादुर्भाव ;
जीवन के साथ मौत का ,
स्वागत के साथ विदा का ;

'असत्य' का होना भी
उतना ही सत्य है,
जितना कि सत्य का होना ;

इस तरह
कुछ भी नहीं रह जाता
दुनिया का सत्य ;
शाश्वत हैं तो केवल
अंतर्विरोध ,
जिनके बूते
बनती है दुनिया
बदलती है ,
और फिर से चलती है |