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काग़ज़ का विज्ञान / गीत चतुर्वेदी

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काग़ज़ का भी अलग विज्ञान है
पड़े-पड़े पीला पड़ जाता है
साल-भर पुराना
सदियों पुराना लगता है
कुछ चीज़ें पड़े-पड़े काली हो जाती हैं
कुछ मटमैली

कुछ सवाल हैं, रूढ़ियाँ, गूढ़ताएँ
इनके रंग पर कोई असर नहीं पड़ता