भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जान लिया तब प्रेम रहा क्या / अज्ञेय

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:56, 30 जुलाई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=चिन्ता / अज्ञेय }} {{KKC...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 जान लिया तब प्रेम रहा क्या? नीरस प्राणहीन आलिंगन
अर्थहीन ममता की बातें अनमिट एक जुगुप्सा का क्षण।
किन्तु प्रेम के आवाहन की जब तक ओठों में सत्ता है
मिलन हमारा नरक-द्वार पर होवे तो भी चिन्ता क्या है?

लाहौर, 25 दिसम्बर, 1934