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भैंस की पीठ पर / अज्ञेय

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भैंस की पीठ पर
चार-पाँच बच्चे
भोले गोपाल से
भगवान् जैसे सच्चे
भैंस पर सवार
चार पाँच बच्चे
उतरे ज़मीन पर
एक हुआ कोइरी
एक भुइँहार
एक ठाकुर, एक कायथ, पाँचवाँ चमार
एक को पड़ा जूता
दूसरे को झाँपड़
उभरे ददोरे
दो को प्यादे ले गये
करते निहोरे
कीचड़ में भैंस
खड़ी पगुराय
किस की तो भैंस
किस की तलैया?
बच्चे तो बापों के
मालिक कौन पापों के?
कीचड़ हमार है
हम हैं बिहार के
नाचो ता-थैया!

पटना, मई, 1979