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उस के पैरों में बिवाइयाँ / अज्ञेय

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उस के पैरों में बिवाइयाँ थीं
उस के खेत में
सूखे की फटन
और उस की आँखें
दोनों को जोड़ती थीं।

उस के पैरों की फटन में
मैं ने मोम गला कर भरी
उस की ज़मीन में
मैं अपना हृदय गला कर भरता हूँ,
भरता आया हूँ
पर जानता हूँ कि उसे पानी चाहिए
जो मैं ला नहीं सकता।

मेरे हृदय का गलना
उस के किस काम का?
तब क्या वह मेरा पाखंड है?
यह मेरा प्रश्न
मेरे पैरों की फटन है
और मेरी ज़मीन भी...

नयी दिल्ली, 1979