भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदत पुरानी / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:56, 23 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=चूल्हा उदास ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
काम से जी
चुराते लोग
अपने को धोखा देते हैं
नहीं सीखना चाहते
नयी चीजे़ बातें
अंधेरे कुएं के मंेढक
सरकारी कार्यालयों में
बैठे बाबू ताश पीटते हैं
दारूख़ोर, देर रात
पहुंचते घर
पत्नी-बच्चों से मार-पीट कर
़ख़ुद को संस्कारी बताते हैं !
नालायक़
सरकारी बाबू