भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुफ्त सलाह / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 23 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=चूल्हा उदास ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन लगा कर काम करो
नित प्रतिदिन व्यायाम करो
खाने पर कंट्रोल करो
मुटाओगे तुम
पछताओगे तुम
घबराओगे तुम
लड़खड़ाओगे तुम
फिर न कहना
कहा नही
मान लो मेरा कहना
सादा रहना सच्चा रहना
जीवन का सफल -
है यह गहना
क्या समझे ?
जी समझ गया
मैं समझ गया
- अभी दुनिया को
समझाना बाकी है
राष्ट्रहित जनहित में प्रचारित